उर्स-ए-पाक में याद किए गए हुज़ूर ताजुश्शरिया- अकीदत के साथ मना मुफ्ती मुहम्मद अख्तर रजा खां अजहरी मियां का उर्स-ए-पाक
गोरखपुर। हुजूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मुहम्मद अख्तर रजा खां अजहरी मियां का उर्स-ए-पाक अकीदत के साथ मनाया गया। दावते इस्लामी इंडिया के जामियातुल मदीना तकिया कवलदह व चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ हुई। चिश्तिया मस्जिद के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि हुज़ूर ताजुश्शरिया की गिनती विश्व के प्रसिद्ध आलिमों में होती है। हुज़ूर ताजुश्शरिया इल्म का दरिया थे।
जिनके फैसले पर अहले सुन्नत व जमात के तमाम उलमा किराम अपने इत्मिनान का इजहार करते थे। भारत, मिस्त्र, साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका, सऊदी अरब, नेपाल, मॉरीशस, बांग्लादेश के अलावा भी दुनिया भर में आपके करोड़ों की तादाद में मुरीद हैं। हुज़ूर ताजुश्शरिया ने आला हजरत की अरबी जबान में लिखी कई किताबों का उर्दू में अनुवाद करके अवाम तक पहुंचाया। वहीं स्वयं लिखी किताबों से तमाम मसलों का हल निकालकर रहनुमाई फरमाई। आपने पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में नात शरीफ का नजराना भी पेश किया।जामियातुल मदीना में हुजूर ताजुश्शरिया के उर्स-ए-पाक पर कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। मुफ्ती फरहानुल मुस्तफा मदनी ने महफिल में तकरीर करते हुए कहा कि हुज़ूर ताजुश्शरिया पेचीदा मसलों के हल निकाला करते थे। आपके इल्म का लोहा बातिल भी मानते थे।
हुज़ूर ताजुश्शरिया ने धर्म और दर्शन सहित कई विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कई किताबें लिखी हैं। अजहरुल फतावा के खिताब से फतवा का संग्रह उनका विशाल कार्य है। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद भी किया। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर देश में अमन व अमान की दुआ मांगी गई। उर्स में प्रधानाचार्य मौलाना आमिर मदनी, मुफ्ती खुश मुहम्मद, मौलाना रजाउल मुस्तफा मदनी, मौलाना आदिल मदनी, सलमान अत्तारी आदि मौजूद रहे।




Post Comment