रंगारंग ‘फागुआ जुटान’ सम्पन्न, भोजपुरी भाषा-संस्कृति का अनूठा संगम
गोरखपुर। भोजपुरी संस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने के उद्देश्य से गोरखपुरिया भोजपुरिया समाज द्वारा आयोजित ‘फागुआ जुटान’ कार्यक्रम भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। संस्थापक विकास श्रीवास्तव और सहसंस्थापक नरेंद्र मिश्र के नेतृत्व में आयोजित इस रंगारंग सांस्कृतिक आयोजन में बड़ी संख्या में भोजपुरी भाषी लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती गीता दुबे, रुपल त्रिपाठी, मांडवी त्रिपाठी के नेतृत्व में महिला सदस्यों द्वारा किया गया, जिन्होंने परंपरागत रूप से मंगलाचरण कर आयोजन को शुभकामनाएं दीं। इस विशेष अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. पूनम टंडन ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को समर्पित वेबसाइट ‘भोजपुरिया.काम’ का लोकार्पण किया, जिससे डिजिटल माध्यम से भोजपुरी भाषा और संस्कृति को वैश्विक पहचान मिलेगी।इस अवसर पर कुलपति डॉक्टर पूनम टंडन ने कहा कि यह पहल भोजपुरी भाषा और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में भाषाओं को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए इस प्रकार के प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। साथ ही, उन्होंने भोजपुरी भाषा की समृद्धि, इसकी सांस्कृतिक विरासत और जनमानस में इसकी गहरी पैठ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वेबसाइट भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगी।
साहित्य, हास्य और संगीत का संगम
कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार शैलेश त्रिपाठी ने अपने चुटीले और हास्य-व्यंग्य से भरपूर प्रस्तुतियों से दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। वहीं, सुप्रसिद्ध गायक राकेश उपाध्याय ने जब मंच संभाला तो उनकी भोजपुरी लोकगीतों की प्रस्तुति पर पूरा पंडाल झूम उठा।इस भव्य आयोजन में वरिष्ठ उद्घोषक सर्वेश दुबे, डॉ. संजयन त्रिपाठी, डॉ एके पाण्डेय,भानु प्रकाश मिश्र, विजय श्रीवास्तव, डॉ हर्ष सिन्हा,राम प्रताप विश्वकर्मा, आशुतोष मिश्र,नरेंद्र उपाध्याय, मनोज मिहिर, प्रिंस पाण्डेय, पंकज श्रीवास्तव, रमेश दुबे,सरिता सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा और अधिक बढ़ा दी।संस्था के संस्थापक विकास श्रीवास्तव ने कहा कि “फागुआ जुटान केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भोजपुरी भाषा और परंपराओं को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”इस आयोजन में भोजपुरी के कई जाने-माने साहित्यकार, कलाकार और समाजसेवी उपस्थित रहे। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शकों में भारी उत्साह बना रहा और गोरखपुर की धरती एक बार फिर से भोजपुरी संस्कृति के रंग में रंगी नजर आई।




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