इंसानियत का विकास मस्जिद, मदरसों और धार्मिक दरगाहों से जुड़ा है : सैयद हमज़ा
गोरखपुर। मस्जिद, मदरसे और धार्मिक दरगाहें न केवल इस्लामिक परंपराओं से जुड़ी हैं बल्कि मानवीय मूल्यों को बढ़ावा भी देती हैं। इन जगहों से हमेशा न्याय, दया और अच्छाई का संदेश दिया जाता रहा है। मस्जिदों से खतीब हर जुमा को बुराईयों से दूर रहने का संदेश देता है। मस्जिद न केवल मुसलमानों के लिए इबादत की जगह हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों की शरणस्थली हैं, मस्जिद बनाना और उन्हें बसाना पैगंबरों का तरीका है। मस्जिदों को अल्लाह पाक की याद, दीनी तालीम और सज्दों से आबाद करें।
यह बात विशिष्ट अतिथि के रूप में सालेहपुर से आए सैयद मुहम्मद हमजा अशरफ ने कच्ची बाग कब्रिस्तान, उत्तरी गेट, घोसीपुर में आयोजित एक धार्मिक गोष्ठी “जश्ने गौसुलवरा” में आमजन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने मदरसों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना समय की सबसे बड़ी जरूरत है। मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में और मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ाने चाहिए। इस्लामी संस्कृति और परंपराओं के पालन के साथ शिक्षा देने में मदरसे अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कारी अफज़ल बरकाती ने कहा कि मदरसे छात्रों के मार्गदर्शन के लिए विशेष हैं। जबकि दरगाहों को आम लोगों के लिए शिक्षा का केंद्र माना जाता था। लेकिन धार्मिक उसूलों और शरीयत के कानूनों की अवहेलना ने दरगाहों की इस व्यवस्था को तितर बितर कर दिया है। हमें अपने पूर्वजों के तरीके के मुताबिक दोबारा दरगाहों को आबाद करना होगा ताकि एक बार फिर वह लोगों के बौद्धिक और व्यवहारिक सुधार का केंद्र बन सकें।
अंत में देश में अमन व शांति के लिए दुआएं मांगी गईं, लंगर व शीरनी तकसीम हुई। आयोजन में सैयद मुहम्मद काशिफ, सैयद हुसैन अहमद, सैयद शुजाअत, क़ासिद रज़ा इस्माईली, शादाब अहमद, अब्दुल अहद, मुहम्मद आरिफ वगैरह ने शिरकत की।
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