गोरखपुर। तुर्कमानपुर स्थित मकतब इस्लामियात में बुधवार को दीनी तालीम के लिए एशिया में अलग पहचान रखने वाली अरबी यूनिवर्सिटी अल जामियतुल अशरफिया मुबारकपुर के संस्थापक हाफिजे मिल्लत हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ अलैहिर्रहमा का 50वां उर्स-ए-पाक अदब ओ एहतराम के साथ मनाया गया। बच्चों ने किरात, तकरीर, नात व मनकबत पेश की। अतिथियों ने बच्चों को पुरस्कृत किया।
उलमा किराम ने हाफिजे मिल्लत की दीनी व दुनियावी ख़िदमात पर रोशनी डाली। अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि हाफिजे मिल्लत पूरे तौर पर शरीअत के आमिल थे। लोगों को शरीअत समझाने वाले थे और अमल कराने वाले भी थे। अपनी पूरी ज़िंदगी अल्लाह, रसूल और इंसानों की सेवा में गुजार कर दीन और दुनिया दोनों में अपना नाम रोशन कर लिया। आपका पैगाम था कि “ज़मीन के ऊपर काम, ज़मीन के नीचे आराम” यानी जब तक इंसान ज़िंदा रहे दीन-ए-इस्लाम, मुल्क व इंसानियत की सेवा कर नेक अमल करता रहे ताकि मौत के बाद कब्र में चैन व सुकून हासिल हो सके।
नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि हाफिजे मिल्लत ने कौम की दीनी और दुनियावी रहनुमाई की। मदरसा मिस्बाहुल उलूम को अरबी यूनिवर्सिटी अल जामियतुल अशरफिया का रूप दिया। आपने तौहीद, इत्तेहाद व इत्तेफाक का संदेश दिया, ताकि पूरी दुनिया में तौहीद, इत्तेहाद व इत्तेफाक का माहौल बने और अमन शांति कायम हो सके। हाफिजे मिल्लत 20वीं सदी की अजीम शख्सियत थे।
उन्होंने तालीम व तरबियत के मैदान में बड़ा कारनामा अंज़ाम दिया।अंत में अमन ओ सलामती की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। उर्स में कारी अनस रज़वी, मौलाना दानिश रज़ा अशरफी, हाफिज अशरफ रज़ा, हाफिज रहमत अली निजामी, शिफा खातून, फिजा खातून, गुल अफ्शा, सना, सानिया, अब्दुल समद, मो. सफियान, मो. शाद, मो. सलीम, अदीबा, सना, सानिया, कनीज़ फातिमा, रहमत अली, नूर फातिमा, अहमद आतिफ, इंजमाम खान, अफीना खातून, मो. शायान, मो. अरीब, मो. साकिब, मो. अली, मो. फरहान आदि मौजूद रहे।
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