हाई कोर्ट का फैसला खारिज, मदरसा एक्ट की संवैधानिकता बरकरार, मुस्लिम समाज में खुशी की लहर
गोरखपुर। ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004′ की वैधता को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया है। फैसले में कहा कि अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। इससे मुस्लिम समाज में काफी खुशी है। मदरसा शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्रों व उलमा किराम ने राहत महसूस करते हुए खुशी का इज़हार किया है। शहर के कई मदरसों में मिठाई बांट कर अल्लाह का शुक्र अदा किया गया।
टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया यूपी ने 22 मार्च के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले का स्वागत किया है। एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री दीवान साहब ज़मां ने इस फैसले को न्याय की जीत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदिवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और यूपी सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मदरसा शिक्षा और शिक्षकों व कर्मचारियों की नौकरियों पर लगा सवालिया निशान खत्म हो गया है। इस सफलता के लिए मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों को धन्यवाद दिया गया जिनकी मदद से देश के प्रतिष्ठित वकील इस मामले में शरीक हो सके।
हाफ़िज़ रहमत अली निजामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देश में जितने भी मदरसे चल रहे हैं सब संविधान के दायरे में रह कर ही चल रहे हैं। आज सुप्रीम कोर्ट ने उस पर अपनी सुप्रीम मोहर लगा दी। बहुत ही खुशी की बात है कि मदरसों के अस्तित्व पर आया संकट टल गया।
मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उप्र मदरसा एक्ट की मान्यता बहाल कर सराहनीय कार्य किया है। यह ऐतिहासिक दिन है। मदरसों ने समाज को बेहतरीन दिशा दी है। मदरसों ने एकता, भाईचारे व देश प्रेम का पाठ पढ़ाया है। मदरसे आगे भी देश की तरक्की में योगदान देते रहेंगे।
कारी मोहम्मद अनस क़ादरी ने ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि फैसले से सभी को खुशी हुई है। यह मदरसा शिक्षक, छात्र, उलमा किराम, मुस्लिम समाज सभी के लिए सुखद है। मदरसों से हजारों लोग जुड़े हुए हैं। मदरसों ने आजादी से लेकर देश के विकास में अहम योगदान दिया है, जिसे नहीं भुलाया जा सकता है। मदरसों में दीनी व आधुनिक शिक्षा को और भी बेहतर बनाया जाना समय की जरूरत है।
कारी शराफत हुसैन कादरी व मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मदरसों की हिंदुस्तान की आज़ादी व तरक्की में अहम भूमिका रही है। मदरसों को शक की निगाह से देखना गलत है। मदरसे भी देश का हिस्सा हैं और समाज की बेहतरी में अहम रोल अदा कर रहे हैं।
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