दीन-ए-इस्लाम अल्लाह का भेजा हुआ सच्चा दीन : उलमा किराम

मासिक संगोष्ठी

गोरखपुर। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मासिक संगोष्ठी हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से आगाज़ हुआ। नात पेश की गई। 

महफिल से वार्ता करते मुफ्ती मुहम्मद अज़हर शम्सी

चिश्तिया मस्जिद में नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी व मौलाना महमूद रज़ा ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिस समाज का निर्माण किया उसमें बड़ों का अदब, छोटे से प्रेम, कमजोरों के प्रति सहानुभूति, बच्चों से प्यार, महिलाओं का सम्मान, मजदूरों के साथ उचित व्यवहार, कानून के प्रति जागरुकता और अन्याय के प्रति घृणा का वातावरण उत्पन्न हुआ। इस तरह पैगंबरे इस्लाम ने ऐसे आधुनिक इस्लामी समाज का निर्माण किया और एक ऐसे शासन-व्यवस्था की आधारशिला रखी, जिसके आधार पर आज बड़ी आसानी से आधुनिक युग का निर्माण किया जा सकता है। पैगंबरे इस्लाम बहुत ही शानो अजमत वाले हैं।

चिश्तिया मस्जिद, बक्शीपुर: महफिल का एक दृश्य

मरकजी मदीना जामा मस्जिद में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम पूरी इंसानी बिरादरी की हिफ़ाज़त की बात करता है। दीन-ए-इस्लाम अल्लाह का भेजा हुआ सच्चा दीन है, जिसके अंतर्गत इंसान अपनी ज़िंदगी के तमाम पहलुओं सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, नैतिक आदि में कामयाबी हासिल कर सकता है। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया कि ऐ लोगों! याद रखो, मेरे बाद कोई पैग़ंबर नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना। प्रतिदिन पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना। हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञा पालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान, तरक्की व भाईचारगी की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।

संगोष्ठी में मुख्तार अहमद, एडवोकेट शमशीर, तुफैल अहमद, फुजैल, नजरे आलम कादरी, मो. अनस आदि मौजूद रहे।

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