ईद-उल-अजहा आज, बाजार में रही रौनक, तैयारियां मुकम्मल
गोरखपुर। अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) शनिवार को परम्परा के अनुसार मनाया जाएगा। कुर्बानी का सिलसिला 7, 8 व 9 जून तक चलेगा। कुर्बानी को लेकर मुसलमानों में खूब उत्साह है। सोशल मीडिया पर मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरु हो गया है। मस्जिदों में तकबीरे तशरीक पढ़ी जाने लगी है।शहर की ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज शनिवार को अदा की जाएगी। जिसे देखते हुए ईदगाह व मस्जिद कमेटियों ने खास तैयारी की है। भीड़ को देखते हुए साफ-सफाई, चटाई व दरी का इंतजाम किया गया है। ईद-उल-अजहा की नमाज सबसे पहले सुप्पन खां मस्जिद खूनीपुर में सुबह 5:30 बजे अदा की जाएगी। वहीं सबसे अंत में सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला बसंतपुर में सुबह 10:30 बजे ईद-उल-अजहा की नमाज होगी। इसके अलावा शहर की सभी ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की जाएगी।ईद-उल-अजहा त्योहार को लेकर शुक्रवार को बाजारों में काफी रौनक रही। ईद-उल-अजहा की तैयारियों में जुटे लोगों ने बाजार से जमकर खरीदारी की। लोगों ने घरों की साज सज्जा के साथ ही त्योहार के मौके पर घर आने वाले मेहमानों को लजीज पकवानों और सेवईं खिलाने के लिए तमाम चीजों की खरीदारी की।रातभर बकरा व भैंस मंडी में खरीदारों की भीड़ जुटी रही। महंगाई का असर कुर्बानी के जानवरों पर नजर आया। दस हजार से लेकर चालीस हजार रुपये तक के जानवर बाजार में बिके। बाजार में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ज्यादा जानवर लेकर आए। कुर्बानी के जानवरों के महंगे होने की वजह से मध्यम वर्गीय परिवारों को थोड़ी दिक्कत पेश आई। सलमान, शाहरूख, टाइगर, सुल्तान, मुनमुन नाम के बकरे कद, काठी, रंग, नस्ल, वजन व कीमत की वजह से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे।गोरखनाथ मछली दफ्तर के पास, रसूलपुर, इलाहीबाग, खूनीपुर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती चौक देसी व अन्य नस्ल के बकरों से गुलजार रहा। भैंस व पड़वा बाजार में भी खूब रौनक दिखी। बड़े जानवर में पेशगी के तौर पर एक हिस्से का 3000 से 4000 रुपये तक लिया जा रहा है।तुर्कमानपुर, रसूलपुर, गोरखनाथ, अस्करगंज, गाजी रौजा, शाह मारूफ, रहमतनगर, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, खूनीपुर, इलाहीबाग, बक्शीपुर आदि जगहों पर तो रात भर कुर्बानी के जानवरों का मेला लगा रहा। जमकर मोलभाव व खरीदारी का सिलसिला चला। जहां सामूहिक कुर्बानियां होती हैं वहां अपशिष्ट पदार्थ को दफन करने के लिए गड्ढे वगैरा भी खोदे गए।खूब बिकी सेवईं, मेवा व खोवाशहर के उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती, नखास, खोवा मंडी, इलाहीबाग, जाफरा बाजार, रसूलपुर व गोरखनाथ इलाके में सेवईं, खोवा व मेवों की खूब बिक्री हुई। जामा मस्जिद उर्दू बाजार में सेवईं की दुकान लगाने वाले कैस व आरिफ ने बताया कि रमजान, ईद व ईद-उल-अजहा के मौके पर सेवईं की मांग ज्यादा रहती है। बनारसी सेवईं हाथों-हाथ खरीदी जा रही है।मसाला, प्याज, लहसून की हुई खरीदारीईद-उल-अजहा त्योहार के तीन दिन जमकर मेहमान नवाजी की जाती है। इन दिनों मे अमीर गरीब सब बराबर हो जाते हैं। आपसी भाईचारा देखने को मिलता है। लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और लजीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। घरों में बनने वाले विभिन्न पकवानों के लिए तमाम तरह के मसाले, प्याज, अदरक, लहसुन आदि की खूब खरीदारी हुई। साहबगंज में भीड़ उमड़ी। शुक्रवार को महिलाओं ने तमाम तरह के मसाले तैयार कर लिए। धम्माल के खुर्शीद अहमद मून व खोखर टोला के मुहम्मद आजम ने बताया कि शुक्रवार को ही सारा मसाला व प्याज, लहसुन आदि साहबगंज से खरीद लिया। अब समय कम है। घर में बकरा आ चुका है। घर में तीन दिन कुर्बानी होनी है।कपड़ों की खरीदारी भी हुईईद-उल-अजहा में मुसलमान कुर्बानी तो करवाते ही हैं साथ ही नये कपड़े पहनकर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते हैं। शुक्रवार को गीता प्रेस, घंटाघर, शाह मारूफ, रेती, गोलघर आदि क्षेत्रों में काफी लोग पहुंचे। जहां बड़े कुर्ता पायजामा खरीदते नजर आए वहीं बच्चे जींस, टी शर्ट लेते दिखे। रेडीमेड आइटमों की डिमांड रही। महिलाएं सलवार सूट लेती दिखी। दर्जियों के यहां कपड़ा लेने वाले भी पहुंचे। शाह मारूफ पर खरीदारी करने आईं खदीजा व सादिया ने बताया कि कपड़े वगैरा तो पहले ही खरीदा जा चुका है। दर्जी के यहां से कपड़ा लेना बाकी है। घर को सजाने के लिए पर्दा, फ्लावर व बर्तन वगैरा की खरीदारी की है।होटल में बनने लगी बाकरखानी व शीरमाल ईद-उल-अजहा में लजीज पकवानों का मजा लेने के लिए बाकरखानी, शीरमाल, बटर नान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में स्थित मुस्लिम होटल तैयार कर रहे हैं। त्योहार के दिन विभिन्न प्रकार की रोटियों की खूब डिमांड रहती है। लिहाजा होटल वालों ने शुक्रवार से ही तैयारियां शुरु कर दी। उर्दू बाजार जामा मस्जिद के निकट, तुर्कमानपुर, इलाहीबाग, गोरखनाथ, जाफरा बाजार व नखास स्थित होटलों में शुक्रवार की रात से ही रोटियां बनना शुरु हो गईं।ठीहा व जिब्ह करने के औजार में लग रही धारईद-उल-अजहा में कुर्बानी करने के लिए बूचड़ व कसाई कई जगहों पर चाकू, चापड़ वगैरा में धार तेज करवाते नजर आए। धार तेज करवाने वाली दुकानों पर भी भीड़ रही। ठीहा भी खूब बिका।यहां होगी सामूहिक कुर्बानियांरहमतनगर, तुर्कमानपुर, अस्करगंज, बक्शीपुर, रसूलपुर, सिधारीपुर, दीवान बाजार, इलाहीबाग, जाफरा बाज़ार, निजामपुर, सिधारीपुर सहित तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर भैंस व पड़वा की सामूहिक कुर्बानी होगी।अमन शांति से मनाएं त्योहार, साफ सफाई का खास ध्यान रखें : उलमा किरामकारी मुहम्मद अनस रजवी, हाफिज रहमत अली निजामी सहित तमाम उलमा किराम ने लोगों से अपील की है कि कुर्बानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अपशिष्ट पदार्थ, खून व हड्डियां सड़कों पर न फेंकें बल्कि गड्ढे में दफन कर दें। दीन-ए-इस्लाम में साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया है। कुर्बानी इबादत है इसे खुश दिली से अदा करें। कुर्बानी के समय वीडियो व फोटो बिल्कुल न बनाया जाए और न ही सोशल मीडिया पर डाला जाए। यह मेहमाननवाजी का दिन है भाईचारे को आम करें। गरीब व जरूरतमंदों की मदद करें।अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी : नायब काजी नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि अल्लाह को कुर्बानी प्यारी है। मुसलमानों के लिए बेहतर है कि दसवीं जिलहिज्जा को नमाज से पहले कुछ न खाएं। गुस्ल करें। साफ सुथरे या नये कपड़े पहनें। खुश्बू लगाएं। ईदगाह को तकबीरे तशरीक बुलंद आवाज से कहते हुए एक रास्ते से जाएं और दूसरे रास्ते से वापस आएं फिर कुर्बानी करें। जो लोग हैसियत वाले हों वह अपनी तरफ से कुर्बानी करवाने के बाद पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ से भी कुर्बानी करवाएं तो बेहतर है। पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया कि यौमे जिलहिज्जा (10वीं जिलहिज्जा) में इब्ने आदम का कोई अमल अल्लाह के नजदीक कुर्बानी करने से ज्यादा प्यारा नहीं है। दूसरी हदीस में आया है कि पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया कि जिसे कुर्बानी की ताकत हो और वह कुर्बानी न करे, वह हमारी ईदगाहों के करीब न आए।जुमा की तकरीर में कुर्बानी की विशेषता बताई गई, सफाई पर जोर ईद-उल-अजहा त्योहार के मद्देनजर जुमा की तकरीर में कुर्बानी के फजाइल व मसाइल बयान किए गए। त्योहार के मौके पर साफ सफाई का ख्याल रखने, भाईचारगी बढ़ाने व अमन व अमान कायम रखने की अपील की गई। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि कुर्बानी हमें शिक्षा देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो। कुर्बानी का जानवर कयामत के दिन अपने सींग और बाल और खुरों के साथ आएगा और फायदा पहुंचाएगा। कुर्बानी का खून जमीन पर गिरने से पहले अल्लाह के नजदीक मकामे कबूलियत में पहुंच जाता है। लिहाजा कुर्बानी खुशी से करनी चाहिए। एक हदीस में आया है कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि कुर्बानी तुम्हारे पिता हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। लोगों ने अर्ज किया इसमें क्या सवाब है? फरमाया हर बाल के बदले नेकी है।बेलाल मस्जिद अलहदादपुर के इमाम कारी शराफत हुसैन कादरी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में दो खास ईद है ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा। ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अजहा के दिन रोजा रखना हराम है क्योंकि यह दिन मेहमान नवाजी और अल्लाह की तरफ से तोहफा और ईनाम है। कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जिसे अल्लाह ने इस उम्मत के लिए बाकी रखा। साफ-सफाई अल्लाह तआला को पसंद है इसका हर मुसलमान को खास ख्याल रखना चाहिए। कुर्बानी की फोटो व वीडियो न बनाएं और न ही अपने कुर्बानी के जानवर की नुमाइश करें। खास जानवर को खास दिनों में कुर्बानी की नियत से जिब्ह करने को कुर्बानी कहते हैं। जिनके यहां कुर्बानी न हुई हो उनके घर सबसे पहले गोश्त भेजें। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह कुर्बानी जरूर करवाएं।सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम चौदह सौ साल से साफ-सफाई की शिक्षा देता चला आ रहा है। साफ-सफाई अल्लाह को पसंद हैं इसका हर मुसलमान को खास ख्याल रखना चाहिए। कुर्बानी खुश दिली से करें। मुसलमानों का हर त्योहार शांति की शिक्षा देता है। लिहाजा इसका ख्याल रखें कि हमारे किसी काम से किसी को भी जर्रा बराबर भी तकलीफ न होने पाए। जिन पर कुर्बानी वाजिब है वह कुर्बानी जरूर कराएं। यह कुर्बानी उनके बख्शिश का जरिया बनेगी।




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