ईद आज : दिखा चांद, बाज़ार चहल पहल व रोशनी से रहा गुलजार
गोरखपुर। माह-ए-रमजान का 29 रोजा पूरा हो गया। रोजेदारों ने रोजा, नमाज, सदका व खैरात के जरिए अल्लाह तआला को राजी करने की भरपूर कोशिश की। अब अल्लाह के बंदे ईद की खुशी मनायेंगे। जब बंदा 29 या 30 दिन का रोजा पूरा कर लेता है तो अल्लाह तआला उसे खुशी खुशी मनाने का हुक्म देता है। ईद की रात को ईनाम की रात भी कहते हैं।एक महीने तक रोजा रखने के बाद आखिर वह मौका आ गया है जिसका हर मुसलमान को बेसब्री से इंतजार रहता है। रविवार की शाम रोजेदारों ने रमजान का 29वां रोजा अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए खोला।
इसके बाद अपने-अपने घरों की छतों से ईद के चांद का दीदार किया। चांद के दीदार की दुआ पढ़ी। उलमा किराम ने ईद के चांद (शव्वाल माह) की घोषणा कर मुबारकबाद पेश की। ईद-उल-फित्र का त्योहार अल्लाह का तोहफा है जो सोमवार को अमन व अमान के साथ मनाया जाएगा। मुफ्ती मेराज अहमद कादरी, कारी मुहम्मद अनस रजवी, हाफिज रहमत अली निजामी, मौलाना महमूद रजा, हाफिज अयाज अहमद, हाफिज सैफ अली, खुर्शीद अहमद मून, हाजी खुर्शीद आलम खां, नेहाल अहमद, आतिफ अहमद, आसिम अहमद, मुहम्मद अदहम, इंजमाम खान, मुनाजिर हसन, नज़ीर अहमद सिद्दीकी, अजरा जमाल, मुहम्मद आजम आदि ने भी ईद की मुबारकबाद पेश की है।चांद रात में लोगों ने एक दूसरे को ईद मुबारक कहा।
मुबारकबाद देने का सिलसिला पूरी रात चलता रहा। लोगों ने एक दूसरे को फोन व सोशल मीडिया के जरिए भी ईद की मुबारकबाद पेश की। विदेश में रह रहे परिजनों ने भी मुबारकबाद पेश की। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम, एक्स आदि पर लोग विभिन्न संदेशों के जरिए ईद की मुबारकबाद पेश करते दिखे।शहर की विभिन्न मस्जिदों में एतिकाफ पर बैठे रोजेदार अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए मस्जिद से बाहर निकले। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में तो खुशियां ही खुशियां नजर आईं। हर घर के बच्चे चहकते दिखे। सभी ईद का स्वागत करते नजर आए।रहमतनगर, तुर्कमानपुर, नखास, जाफरा बाजार, चक्शा हुसैन, गोरखनाथ, रसूलपुर, रेती, उर्दू बाजार, इलाहीबाग, खूनीपुर, मियां बाजार आदि क्षेत्रों में तो एक खुशी, रोशनी व चहल पहल की नई ऊर्जा देखने को मिली।रात में ईद की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया। चांद रात के इंतजार कर रहे बाजार में खुशी की नई चमक दिखी। शाह मारूफ, नखास, रेती, घंटाघर, गोरखनाथ, जाफरा बाजार, गीता प्रेस रोड, उर्दू बाजार में तो भीड़ उमड़ पड़ी। सारी दुकानें रात भर खुली रही और हर दुकान पर भीड़ नजर आई। फुटपाथ पर दुकानें सजीं व भीड़ से पटी दिखी।दुकानदारों ने चांद रात में काफी रियायत भी दे रखी थी। छूट का माल बेहद कम दामों में आदि आवाजें बार-बार कानों से टकरा रहीं थीं। पुरुष, महिला, युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी थे बाज़ार में। सभी की एक ख्वाहिश थी कि चांद रात में कुछ न कुछ जरूर खरीदी जाए।शाह मारूफ, रेती, उर्दू बाजार तो पूरी रात अमीनाबाद बना रहा। भीड़ इस कदर की चलना मुश्किल हो रहा था। यहां सजी कई दर्जन दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ी थी। कहीं कुर्ता पायजामा, टोपी, इत्र, रुमाल बिक रहा था तो कहीं रेडीमेड बच्चों के कपड़े। महिलाओं की जरुरतों के लिए भी यहां सब चीजें मौजूद थीं। महिलाओं का हुजूम चूड़ी, ज्वैलरी, चप्पल की दुकानों व दुपट्टा गली में नजर आया।
लिपिस्टिक, नेल पॉलिश से लेकर कड़ा, ब्रेसलेट्स, पर्स सभी मिल रहा था। शीशे के बेशुमार आइटम बिक रहे थे। लोग गिलास कटोरी, दस्तरख्वान ज्यादा खरीद रहे थे। बच्चे नौजवान पर्स, चश्मा, बेल्ट आदि की दुकानों पर नज़र आ रहे थे। जूता चप्पल की दुकानें भरी पड़ी थी। जाफरा बाज़ार में भी खूब भीड़ उमड़ी।सेवईं की खरीदारी नखास, उर्दू बाजार, जाफरा बाजार, गोरखनाथ आदि जगहों से जमकर हुई। वहीं खोवा भी खूब बिका। खोवा मंडी के अलावा नखास, जाफरा बाजार, इलाहीबाग, खोखर टोला आदि जगहों पर खोवा बिक रहा था। मेवा भी खूब बिका।इसी तरह मटन व चिकन शॉप पर मीट खरीदने वालों की लाइन नजर आई। मीट के साथ कलेजी फेफड़ा भी खूब बिका। त्योहार की वजह से मीट का रेट दुकानदारों ने बढ़ा दिया था उसके बावजूद खरीदारी में कोई कमी नजर नहीं आई।
पूरी रात मीट बिकता रहा। लोग गरीब मुसलमानों में सदका-ए-फित्र भी पहुंचाते दिखे। कपड़ा लेने के लिए दर्जियों के यहां भीड़ उमड़ पड़ी। दर्जियों की दुकानें देर रात तक खुली रही।वहीं अकीदतमंदों ने चांद रात में खूब इबादत भी की। नमाज़ पढ़ी।तिलावत-ए-कुरआन भी किया। ईद की रात के बहुत से फजाइल हदीस में आए हैं इसलिए बहुत से लोग जागकर इबादत कर मुकद्दस संवारने की दुआ करते रहे।सोमवार की सुबह सबसे पहले चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में सुबह सात बजे ईद की नमाज़ अदा की जाएगी। ईद की आखिरी नमाज सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला बसंतपुर में सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर अदा की जाएगी। सभी ईदगाहों व मस्जिदों में तैयारियां मुकम्मल हैं। साफ-सफाई पूरी हो चुकी है।ईद के दिन यह करें मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने बताया कि ईद के दिन के चंद आदाब ये हैं – मिस्वाक करना। गुस्ल करना। साफ सुथरा लिबास पहनना। अगर नया मयस्सर हो तो नया लिबास पहनना।
खुश्बू लगाना। नमाजे ईद से पहले सदका-ए-फित्र अदा करना। अगर मुमकिन हो तो पैदल ईदगाह जाना। एक रास्ते से जाना दूसरे से वापस आना। ईदगाह जाने से पहले ताक अदद खजूरें, छुआरे या कोई और मीठी चीज जो मयस्सर हो खाना। निगाह नीचे किए बाअदब और पुरवकार तरीके से ईदगाह जाना। ईद-उल-फित्र में ईदगाह तकबीर तशरीक आहिस्ता पढ़ते हुए जाना। ईद की नमाज खुले मैदान या ईदगाह में पढ़ना। ईद के दिन अपने आस पड़ोस के गरीबों जरूरतमंदों का खुसूसी खयाल रखना। जरूरतमंदों की मदद करना। नमाजे पंजगाना की खास तौर पर पाबंदी करना और तमाम तरह के गुनाहों से बचना और नेकी के कामों में यह दिन गुजारना।काजी की इजाजत से ईदगाह या मस्जिद में दो बार ईद की नमाज हो सकती है : उलमा रमजान हेल्पलाइन नंबर 9454674201 पर रविवार को सवाल जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : एक ही ईदगाह या मस्जिद में दो बार ईद की नमाज अदा करना कैसा? जवाब : आम हालात में ऐसा करना मकरुह है। अलबत्ता किसी खास सूरत-ए-हाल में शहर के काजी या सबसे बड़े सहीहुल अकीदा आलिम जिसके तरफ लोग शरअ के मसाइल में रूजू करते हों उसकी इजाजत लेकर कायम की जा सकती है।
2. सवाल : जिस शख्स की ईद की नमाज छूट जाए वो क्या करे रहनुमाई फरमाएं? जवाब : दूसरी मस्जिद या ईदगाह में जहां जमात मिल सकती हो जाकर पढ़े। अगर कहीं जमात न मिली तो बहर सूरत तन्हा नमाजे ईद नहीं पढ़ सकता। अब आइंदा ऐसी सुस्ती से बचे व तौबा इस्तिग्फार करे। और उसके लिए बेहतर है कि चार रकात नमाजे चाश्त पढ़ ले।
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