रोजा रख हो रही ईद की खरीदारी
गोरखपुर। रमजानुल मुबारक का बाबरकत महीना धीरे-धीर रुखसत हो रहा है। रोजेदारों की इबादत में कोई कमी नहीं है। सोमवार को 23वां रोजा इबादत में बीता। ईद की खरीदारी जोर पकड़ चुकी है। बाजार रात-रात भर गुलजार रह रहा है। अमीर-गरीब सभी चाहते हैं कि ईद में कोई कमी न रह जाए इसलिए लोग बाकायदा सामानों की लिस्ट बनाकर चल रहे हैं। लोग रोजा रखकर खरीदारी कर रहे हैं। दिन-रात बाजार भरा रह रहा है। दर्जियों की दुकानें देर रात तक खुली रह रही हैं। शाह मारुफ, रेती में तो अमीनाबाद जैसा नजारा दिख रहा है।
फुटपाथ के दुकानदार चिल्ला-चिल्ला कर ग्राहकों को बुला रहे हैं।मरियम, अफीफा, हासिर ने रखा पहला रोजा रमजान में बड़ों के साथ बच्चे भी खूब इबादत कर रहे हैं। रोजा रखने में बच्चे भी पीछे नहीं है। मोहल्ला धम्माल निवासी खुर्शीद अहमद मून व शोएबा निशात की दस वर्षीय बेटी मरियम फातिमा और दीवान दयाराम के रहने वाले महताब आलम व रफत शाहीन की नौ वर्षीय बेटी अफीफा फातिमा व पांच वर्षीय बेटे मो. हासिर ने अपनी ज़िंदगी का पहला रोजा रखा। सेंट जोसेफ स्कूल सिविल लाइंस के क्लास चार, तीन व एक में पढ़ने वाले तीनों बच्चों के लिए सहरी का खास इंतजाम किया गया।
भूख व प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त करते हुए तीनों ने दिन भर अल्लाह की इबादत और नमाज में अपना वक्त गुजारा। घर पर ही दीनी तालीम व तरबियत हासिल कर रहे तीनों बच्चों ने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों आदि के साथ शाम में अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए रोजा खोला। उन्हें तमाम लोगों की तरफ से ढ़ेर सारे तोहफे और दुआएं मिलीं। तीनों बच्चों के वालिद वालिदा ने हौसला बढ़ाते हुए खुशी का इजहार किया।समाजसेवी खुर्शीद अहमद मून ने कहा कि सभी जानते हैं कि रमजान माह के ठीक बाद शव्वाल माह की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। रमजान की पहचान रोजा रखने और रोजों की पहचान सुबह सादिक से लेकर सूरज डूबने तक भूखा-प्यासा रहना माना जाता है, लेकिन रोजे रखने के पीछे का उद्देश्य हम जानेंगे तो पाएंगे कि यह सोशलिस्ट समाज के काफी करीब है। एक ऐसा समाज जो न सिर्फ इंसानियत की बात करता है, बल्कि उसके रास्ते में आने वाली मुश्किलों को प्रायोगिक तौर पर खुद के ऊपर आजमाता है।
जकात अदा करने के पीछे का सही मकसद यह है कि आपकी दौलत पर आपके आसपास के उन तमाम मुसलमानों का हक है, जो गरीब और बदहाल हैं।जहरीले जानवर के डंसने से रोजा नहीं टूटेगा : उलमा रमजान हेल्प लाइन नंबर 9454674201 पर सोमवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : क्या जहरीले जानवर सांप, बिच्छू वगैरा के डंसने से रोजा टूट जाएगा? जवाब : सांप, बिच्छू वगैरा के डंसने से रोजा नहीं टूटेगा, बल्कि अगर जान जाने का खतरा हो तो रोजा तोड़ लें और बाद में उसकी कजा करें।
2. सवाल : अगर फिदया देने के बाद कमज़ोरी जाती रही तो क्या हुक्म होगा? जवाब : अगर रोजों की फिदया देने के बाद रोजा रखने की ताकत आ गई तो जो फिदया दिया था वो नफ्ली सदका हो जाएगा, और रोजों की कजा रखना लाजिम होगा।
Post Comment