गोरखपुर। ‘ऐ सिरफिरी हवा तू बुझा कर उसे दिखा।’ ‘वो नन्हा सा चिराग जो जुगनू के पर में है।’
उक्त शेर कहने वाले मशहूर मुशायरा नाजिम व शायर शकील फराज की ज़िंदगी का चिराग आखिर बुझ गया। 65 साल की उम्र में शकील फ़राज़ ने इस फानी दुनिया को अलविदा कहा। जुमेरात की देर रात उनका लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। जुमा के रोज बाद नमाज़ जुमा जामा मस्जिद उर्दू बाजार में नमाज-ए-जनाजा अदा की गई। सैकड़ों चाहने वालों ने नम आंखों से हज़रत मुबारक खां शहीद कब्रिस्तान नार्मल में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया।
मिली जानकारी के मुताबिक खूनीपुर के रहने वाले मुहम्मद शकील फ़राज़ का एक्सीडेंट 2013 मार्च में हुआ था। जब वह किसी मुशायरे में शिरकत करने जा रहे थे। उसके बाद से ही वह बीमार चल रहे थे। ज्यादा तबियत बिगड़ने पर ऊंचवा स्थित महफूज हॉस्पिटल में इलाज के लिए 21 फरवरी को भर्ती कराया गया। बीती रात करीब 11:15 मिनट पर वह अपने मालिके हकीकी से जा मिले। वह अपने पीछे बीवी और तीन बेटियां सुमैया 19, मुनीबा 16 हुमैरा 11 और बेटे मोहम्मद हस्सान मुजीब 14 साल को छोड़ गए हैं। शकील फराज के इंतक़ाल से उनके चाहने वालों में जबरदस्त ग़म है।

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