काकोरी काण्ड के क्रान्तिकारियों की शहादत दिवस पर निकाला जुलूस
गोरखपुर। दिशा छात्र संगठन व नौजवान भारत सभा की ओर से ‘सांप्रदायिक फासीवाद विरोधी माह’ के तहत गुरुवार को काकोरी काण्ड के क्रान्तिकारियों की शहादत दिवस पर जुलूस निकाला गया। जुलूस गोरखपुर विश्वविद्यालय मेन गेट से शुरू करके असुरन चौराहा होते हुए बिछिया जेल पर श्रद्धांजलि सभा और क्रान्तिकारी गीत गाकर समाप्त किया गया।
दिशा छात्र संगठन की सदस्य अंजली ने कहा कि 17 और 19 दिसम्बर 1927 को देश के चार बहादुर बेटों को अंग्रेज़ सरकार ने काकोरी ऐक्शन केस में फाँसी की सज़ा दी थी। ये क्रान्तिकारी थे – राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े ये क्रान्तिकारी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ते हुए केवल उनको भगाने तक की लड़ाई नहीं लड़ रहे थे, बल्कि इनकी आँखों में एक ऐसे समाज का सपना था जिसमें हर तरह की लूट, शोषण और अन्याय का ख़ात्मा कर दिया जाये। एचआरए के क्रान्तिकारियों ने अपने घोषणापत्र ‘दि रिवोल्युशनरी’ में स्पष्ट शब्दों मे यह घोषणा की थी कि हम मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण को सम्भव बनाने वाली हर तरह की व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।
नौजवान भारत सभा के सदस्य धर्मराज ने कहा कि आज इन क्रान्तिकारियों की शहादत को लगभग एक शताब्दी का समय पूरा होने वाला है। एक शताब्दी बाद जब हम अपने चारों तरफ़ मौजूद सामाजिक-आर्थिक ढाँचे को देखते हैं तो यह स्पष्ट रूप से नज़र आता है कि हमारे समाज इन क्रान्तिकारियों के सपनों से मेल नहीं खाता। हमारे देश को भले ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है, लेकिन अमल में शोषणतंत्र, दमनतंत्र और लूटतंत्र ही है। देश में लगातार बढ़ती महँगाई ने आम जनता की थाली से दाल-सब्ज़ी तक छीन ली है।
सरकार एक तरफ़ महँगाई दर के आँकड़े पेश करके अपनी पीठ थपथपाने में जुटी है लेकिन सब्ज़ियों से लेकर आटा, तेल, दाल समेत रोज़मर्रा की ज़रूरत की हर चीज़ की क़ीमत में आग लगी हुई है। डीजल, पेट्रोल और गैस की क़ीमतों में भाजपा सरकार के दस सालों में लगभग दो से ढाई गुने तक की वृद्धि हुई है।आज़ादी के साढ़े सात दशक से ज़्यादा समय बीतने के बाद भी स्थिति यह है कि छात्र-युवा बेरोज़गारी के संकट से जूझ रहे हैं। नवम्बर 2024 में बेरोज़गारी दर 8 प्रतिशत को पार कर चुकी है। इस बेरोज़गार आबादी का 83% युवा है। देश के सरकारी विभागों में राज्यों और केन्द्र को मिलाकर लगभग 60 लाख पद ख़ाली हैं लेकिन इन पदों को भरने की बजाय इन्हें समाप्त किया जा रहा है। जो थोड़ी-बहुत भर्तियाँ हो भी रही हैं, वह पर्चा लीक, धाँधली और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही हैं। प्राइवेट सेक्टर में भी परमानेंट नौकरियाँ लगातार घटती चली जा रही हैं, तमाम कम्पनियों में छँटनी-तालाबन्दी का दौर जारी है।ऐसे समय में काकोरी कांड के शहीदों की विरासत एक-एक व्यक्ति तक पहुंचाना आज का ज़रूरी कार्यभार है।
अपने शहीद क्रान्तिकारियों की अधूरी लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए आज के सवालों को लेकर संघर्ष संगठित करने और समानता और न्याय पर टिके समाज के निर्माण के उनके सपनों को साकार करने में जी-जान से जुट जाने के लिए हम आप सभी ज़िन्दादिल नौजवानों और इंसाफ़पसन्द नागरिकों का आह्वान करते हैं।जुलूस में माया, शेषनाथ,मनीष, पुनीत, स्नेहा, खुशी, सौम्या,अम्बरीश, अंशु, विनय,बृजेश, प्रीति आदि शामिल हुए।
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