ग्यारह वर्ष की आयु में क़ुरआन के हाफ़िज़ बने अब्दुर्रहमान
गोरखपुर। महानगर के मोहल्ला चिल्मापुर में जलसा का आयोजन किया गया। इस दौरान ग्यारह वर्षीय हाफ़िज़ अब्दुर्रहमान को पवित्र ग्रंथ कुरआन पाक को हिफ्ज़ (कंठस्थ) करने पर उनको सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में में हज़रत मुहम्मद साहब और क़ुरआन पाक पे इस्लामिक धर्मगुरुओं ने विस्तार से चर्चा की।
हाफ़िज़ अब्दुर्रहमान के पिता हाफ़िज़ ओबैदुल्लाह , जो चिल्मापुर स्थित मस्जिद उमर मे विगत दो दशकों से पेश इमाम हैं। उन्होंने बताया कि उनके पुत्र हाफ़िज़ अब्दुर्रहमान ने पहले घर पे रह कर कुरआन पाक का पाठ पूरा किया। फिर हाफ़िज़े के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। ख़ुदा का शुक्र है आज वो हाफ़िज़ क़ुरआन हैं।
मौलाना ज़बीउल्लाह क़ासमी और मौलाना करीमुद्दीन क़ासमी ने बताया कि क़ुरआन पाक पूरी मानव जाति को अमन और शांति का संदेश देता है। क़ुरआन ने इंसानों में भेद भाव मिटा कर बताया कि सृष्टि के संपूर्ण मानव एक समान हैं और उन सब का पालन हार एक है। हाफ़िज़ मौलाना ओबेदुल्लाह क़ासमी ने नाते पाक पढ़ा। कार्यक्रम के अंत में मौलाना इक़बाल अंजुम क़ासमी में ने इस शहर के लिए ,प्रदेश और देश के अमन और सलामती की दुआ की, कि हमारे मुल्क में आपसी भाईचारा स्थापित रहे। सभी धर्मों और सभी वर्गों का सम्मान हो। कार्यक्रम में हाफ़िज़ असादुल्लाह क़ासमी, मौलाना मोहम्मद उस्मान क़ासमी, मौलाना अख़्तर क़ासमी, मौलाना अनवर क़ासमी, मक़सूद आलम, मोहम्मद शारिक़ खान, एहसान अली ख़ान, मुहम्मद आरिफ, मुहम्मद मुश्ताक़, सैयद नवाज़, अतीक़ ऊर्रहमान समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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