गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में बारहवीं महाना महफ़िल सजी। इस्लामी बहनों का सम्मान हुआ। तोहफ़ों से नवाजा गया। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की।
मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया ख़ानम ख़ानम अमजदी ने कहा कि इस्लाम नैतिक विकास, न्याय, समानता, कल्याण और संतुलन को बढ़ावा देता है इसमें स्वस्थ परिवार बनाने की क्षमता है जो समाज के अस्तित्व के लिए बुनियादी शर्त है। इस्लामी शरीअत महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा करती है यह उनके अधिकारों को स्थापित करती है उनके लिए उनकी व्यापक स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म लड़कियों को शिक्षा हासिल करने का अधिकार देता है। बेहतर शिक्षा की वजह से ही आज इस्लामी बहनें विभिन्न ओहदों पर कार्यरत हैं। इस्लामी बहनें समाज के विकास के लिए भी योगदान दे रही हैं। इस्लामी बहनें बेहतर शिक्षा से जुड़ सकें व समय के साथ समाजिक व्यवस्था को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकें, इसके लिए पहल की जा रही है। शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है। कोई समाज तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक कि वह शिक्षा हासिल नहीं करेगा। शिक्षा के साथ संस्कार भी हासिल करना जरूरी है। संस्कार के बिना शिक्षा व्यर्थ है। इस्लामी बहनों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है। इस्लाम ने सबसे पहले महिलाओं को अधिकार दिए हैं। इस्लाम में महिलाओं के स्वाभिमान की सुरक्षा सर्वोपरि है।
संचालन करते हुए शिफा खातून ने कहा कि औलिया किराम की ज़िदंगी हमारे लिए आइडियल है। उस पर अमल करके अल्लाह और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नज़दीक हासिल की जा सकती है। हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा ने इस्लाम धर्म को फैलाया, प्रचार-प्रसार किया। पूरी ज़िदंगी पैग़ंबरे इस्लाम की पाकीज़ा सुन्नतों पर अमल कर अल्लाह की नजदीकी हासिल की।
कुरआन-ए-पाक की तिलावत फिजा ने की। हम्द, नात व मनकबत नूर, अनाया फातिमा, सानिया, खुशी, आयशा, कनीज़ फातिमा, सना, अदीबा, गुलफिशा ने पेश की। हदीस-ए-पाक शिफा नूर, सना, फाइजा व आयशा ने पेश किया। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ मांगी गई। महफ़िल में आलिमा कहकशां फ़िरदौस, अलफिया, तस्मी, फलक, नूर फातिमा, नूर अक्शा, नूर अज्का, गुल अफ्शा, सादिया, शाज़िया, आलिया,, मरियम, अलविया, खुशी नूर, सना खान, जैनब, फिजा, मुस्कान, तमन्ना, तैबा नूर, साईबा फातिमा, नूरजहां शरीफी, जिक्रा शेख़, आस्मां खातून, किताबुन निसा आदि मौजूद रहीं।
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