ईद मिलादुन्नबी आज : जुलूस व जलसे के जरिए आम होंगी पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षाएं
तैयारियां मुकम्मल
गोरखपुर। इस्लामी माह रबीउल अव्वल शरीफ़ की 12 तारीख़ पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे पैदाइश का दिन है। जिसे पूरी दुनिया ईद मिलादुन्नबी पर्व के रूप में मनाती है। सोमवार 16 सितंबर को यह पर्व मुहब्बत ,अकीदत, एहतराम व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। ईद मिलादुन्नबी व जुलूस-ए-मुहम्मदी की तैयारियां मुकम्मल हो चुकी हैं।
जुलूस में इस्लामी परचम (झंडा) व बैनर के जरिए दीन-ए-इस्लाम का पैग़ाम आम किया जाएगा। जुलूस में पैग़ंबरे इस्लाम के जीवन, क़ुरआन और हदीस से जुड़ी तख्तियां, बैनर व मस्जिदों के मॉडल आकर्षण का केंद्र होंगे। दरूदो सलाम और नारा-ए-तक़बीर व नारा-ए-रिसालत की सदाएं बुलंद की जाएंगी। वहीं जलसा व मिलाद की महफिलों में उलमा किराम पैग़ंबरे इस्लाम की रिसालत, खत्मे नबुव्वत, अज़मत, बड़ाई व फज़ीलत बयान कर लोगों से सच्चाई, ईमानदारी तथा शरीअत के मुताबिक ज़िंदगी गुजारने की अपील करेंगे। कई मुहल्लों में लंगर भी बांटा जाएगा।
सोमवार की सुबह शहर की तमाम मस्जिदों पर परचम कुशाई (झंडारोहण) की रस्म परंपरा के अनुसार अदा की जाएगी। या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका, मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम, हुजूर की आमद मरहबा जैसी प्यारी सदाओं से फिजा गूंज उठेगी।
परचम कुशाई के बाद वारिस कमेटी मियां बाजार, मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर, रहमतनगर, कमेटी खुद्दामे नबी तुर्कमानपुर, अहमदनगर चक्शा हुसैन, जाफ़रा बाज़ार, मिर्जापुर चाफा, गाजी रौजा, रसूलपुर, बड़गो, तुर्कमानपुर, खूनीपुर, गोरखनाथ, दीवान बाजार, इलाहीबाग, निजामपुर, चिलमापुर, तकिया कवलदह, नखास, घासी कटरा सहित तमाम क्षेत्रों से जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला जाएगा। जिसका सिलसिला सुबह से देर रात तक जारी रहेगा। नखास जुलूसों का केंद्र रहेगा। हर मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ले में मिलादुन्नबी की महफिलें व जलसे होंगे। ईद मिलादुन्नबी के मौके पर बच्चों से लेकर बड़ों में काफी उत्साह दिख रहा है। नख़ास पर झंडा बैनर की दुकानें गुलजार हैं। सोशल मीडिया पर एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की जा रही है।
ईद मिलादुन्नबी के मौके पर सज गई मस्जिदें
सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, नूरी जामा मस्जिद चक्शा हुसैन, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर समेत सभी मस्जिद, दरगाह, घर व मुहल्लों को फूलों, लाइटों, इस्लामी झण्डों, गुब्बारों, झंडियों से सजाया गया है। घर, मस्जिद व दरगाहों पर इस्लामी झंडे शान से लहरा रहे हैं। कई जगहों पर जुलूस के इस्तकबाल के लिए गेट भी तैयार किए गए हैं। मुहल्ला छोटे काजीपुर, अहमदनगर चक्शा हुसैन को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया गया है।
रविवार की शाम से गोलघर, अहमदनगर चक्शा हुसैन, गाजी रौजा, खूनीपुर, रहमतनगर, बड़े काजीपुर , तुर्कमानपुर, सूर्य विहार तकिया कवलदह सहित तमाम मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के घरों, मस्जिदों में मिलादुन्नबी की महफिल, जलसा, क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी, दुआ ख़्वानी व नात ख़्वानी का दौर शुरू हो गया है।
वहीं सोमवार को दोपहर 3 बजे से छोटे काजीपुर स्थित पुराने एलआईयू आफिस के पास व बड़े काजीपुर स्थित इमामबाड़े वाली मस्जिद के पास पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पवित्र बाल मुबारक (मूए मुबारक) की जियारत कराई जाएगी।
नात-ए-पाक पढ़ते हुए बच्चों ने निकाला जुलूस-ए-मुहम्मदी
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर रविवार को दावते इस्लामी इंडिया की ओर से सुप्पन खां मस्जिद खूनीपुर से मदरसतुल मदीना के बच्चों ने जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला। सिर पर अमामा, हाथों में इस्लामी झंडा, लबों पर नाते पाक, हदीसे रसूल और या रसूलल्लाह का नारा लगाते बच्चे आकर्षण का केन्द्र रहे। जुलूस खूनीपुर, रेती चौक, मदीना मस्जिद, छोटे काजीपुर, कोतवाली रोड, नखास होता हुआ खूनीपुर में समाप्त हुआ। छोटे-छोटे बच्चों का जुलूस देख सभी खुश नज़र आए। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, शांति व तरक्की की दुआ मांगी गई। जुलूस की रहनुमाई फरहान अत्तारी, मौलाना अंसारी मिस्बाही, मोहसिन, मौलाना कादरी अलीमी, शहबाज अत्तारी, मुबस्सिर अत्तारी आदि ने की।
पैग़ंबरे इस्लाम ने अल्लाह के पैग़ाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया : कारी अनस
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में महफ़िल-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। संचालन मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने किया।
मुख्य वक्ता कारी मुहम्मद अनस रजवी ने आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी व सीरत पर रौशनी डालते हुए कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐसे जमाने में जन्म लिया, जब अरब के हालात बहुत खराब थे। बच्चियों को ज़िंदा दफ़न कर दिया जाता था। महिलाओं व विधवाओं के साथ बुरा सुलूक होता था। छोटी-छोटी बात पर तलवारें निकल जाती थीं। अरब का समाज कबीलों में बंटा था। इंसानियत शर्मसार हो रही थी। ऐसे समय में इंसानों की रहनुमाई के लिए इस्लामी माह रबीउल अव्वल शरीफ़ की 12 तारीख़ को अरब के मक्का शहर में पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ। वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह व वालिदा का नाम हज़रत आमिना था। दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब थे। बचपन में वालिद का साया उठ गया। आपके दादा ने परवरिश की। पैग़ंबरे इस्लाम ने जब अल्लाह का पैग़ाम आम करना शुरु किया तो उस दौर के मक्का में रहने वाले लोगों को काफी बुरा लगा। आपको तरह-तरह की तकलीफें दी गईं। आपने हर ज़ुल्म का डटकर सामना किया। आपको मक्का से हिजरत करने पर मजबूर किया गया। आप मदीना शरीफ चले गए। इतनी परेशानियों के बाद भी आपने अपने मिशन को नहीं छोड़ा और अल्लाह के पैग़ाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया। आपने मजलूमों, गुलामों, औरतों, बेसहारा, यतीमों को उनका हक़ दिलाया। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। महफ़िल में हाफिज अशरफ़ रज़ा, हाफिज सैफ अली, नूर मोहम्मद दानिश सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
अल्लाह ने पैग़ंबरे इस्लाम को नूर बनाकर भेजा : शाह आलम
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर रविवार को बड़गो स्थित हुसैनी जामा मस्जिद के पास जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। मुख्य अतिथि शाह आलम नूरानी ने कहा कि अल्लाह ने पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नूर बनाकर भेजा है, इसलिए पैग़ंबरे इस्लाम ने दुनिया में तशरीफ़ लाने के बाद अपने नूर की रौशनी से जिहालत को इल्म में, बदकिरदारी को अच्छे किरदार में, जुल्म व सितम की तारीकी (अंधकार) को अच्छे बर्ताव में, बेइंसाफी की तारीकी को इंसाफ़ और आपसी भाईचारा में बदल दिया। आज हमारे समाज में जो बेचैनी पाई जा रही है, वह इसलिए है कि हम पैग़ंबरे इस्लाम के बताए हुए रास्ते से भटक गए हैं, अगर हमें सुकून हासिल करना है तो हमें पैग़ंबरे इस्लाम के बताए हुए रास्ते पर चलना होगा। इससे हमारे समाज की बुराईयां खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क की तरक्की, खुशहाली व भाईचारे की दुआ मांगी गई। जलसे में कारी सेराज अहमद, अबरार अहमद, अताउल्लाह खान, महताब आलम, शराफत, यूनुस अहमद, मिनहाज सिद्दीकी, ज़ुबैर, इरफ़ान खान आदि मौजूद रहे।
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