फ़िराक़ लिटरेरी फाउंडेशन द्वारा साहित्यिक चर्चा व काव्य गोष्ठी आयोजित

फ़िराक़ जयंती

गोरखपुर | प्रसिद्धि प्राप्त उर्दू शायर फ़िराक़ गोरखपुरी की जयंती के अवसर पर बुधवार को फ़िराक़ लिटरेरी फाउंडेशन द्वारा एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन फाउंडेशन के अध्यक्ष फर्रुख जमाल व अध्यक्षता फ़िराक़ लिटरेरी फाउंडेशन के संरक्षक डॉ. फैजान ने की।

मुख्य अतिथि पूर्व मेयर डॉ. सत्या पांडे ने कहा कि फ़िराक़ साहब की शायरी का सौंदर्य पूरे प्रवाह के साथ मौजूद है। उन्होंने अपनी कविता में भारतीय संस्कृति को बखूबी प्रस्तुत किया है।  

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फ़िराक़ लिटरेरी फाउंडेशन के संरक्षक डॉ. फैजान ने कहा कि अगर आप फ़िराक़ साहब को जानना चाहते हैं तो उर्दू पढ़ें और जब आप उर्दू पढ़ेंगे तो उर्दू को बढ़ावा मिलेगा। जहां तक फ़िराक़ साहब की शख्सियत का सवाल है तो इस मामले में सरकार ने फ़िराक़ साहब को अनदेखा किया है। फ़िराक़ साहब के नाम पर शहर में न तो कोई पार्क है और न ही कोई ऐसी लाइब्रेरी है जिसे संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके। विश्वविद्यालय में कम से कम एक बेंच का नाम फ़िराक़ साहब के नाम पर रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि फ़िराक़ साहब उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी के महान शायर शेक्सपियर के समकालीन थे और अन्य शायरों के बीच उनकी हैसियत एक नगीने सी थी।

संचालन करते हुए फर्रुख जमाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य जगत पर राज करने वाले फ़िराक़ अपने ही शहर में हार गये हैं। प्रशासन को चाहिए कि लक्ष्मी भवन को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करे।

इस अवसर पर अरशद जमाल सामानी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि फ़िराक़ गोरखपुरी को याद करना हम गोरखपुरवासियों का पहला कर्तव्य है। क्योंकि फ़िराक़ साहब ने गोरखपुर को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई। साहित्य की दुनिया में फ़िराक़ गोरखपुरी का रुतबा बहुत ऊंचा है। मुझे गर्व है कि मैंने फ़िराक़ को देखा है।

फ़िराक़ गोरखपुरी पर साहित्यिक चर्चा के बाद शायरी का दौर चला। शायरों ने शायरी और गज़लें पेश की।

कार्यक्रम में फैसल जमाल, अफजल जमाल, जमील खान, यूसुफ जमाल, निहाल, फिरोज अहमद, सुबहुद्दीन एडवोकेट आदि मौजूद रहे।

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