जबानें समाज की धरोहर होती हैं : डा. अज़ीज़

जबानें समाज की धरोहर होती हैं : डा. अज़ीज़
जबानें समाज की धरोहर होती हैं : डा. अज़ीज़

यादों की रेजगारी"(उर्दू) और "जुगनू एक सितारा" (हिंदी) का लोकार्पण

गोरखपुर। सुप्रसिद्ध शायरा नुसरत अतीक गोरखपुरी के दो काव्य संग्रह "यादों की रेजगारी"(उर्दू) और "जुगनू एक सितारा" (हिंदी) का लोकार्पण रविवार को विजय चौक स्थित एक होटल में किया गया। अदबी चौपाल साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ. अजीज अहमद ने किया वहीं लोकार्पण समारोह मे प्रो. अनिल राय (पूर्व अध्यक्ष, हिंदी विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय) प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय शायर डॉ. कलीम कैसर, विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी कैफुलवरा अंसारी, गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. अखिलेश मिश्र (आईएएस), फारूक जायसी, वरिष्ठ पत्रकार काजी अब्दुल रहमान मौजूद रहे।

इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिकित्सक डा. अज़ीज़ अहमद ने कहा कि जबानें समाज की धरोहर होती हैं और भारत देश इसलिए मशहूर है की यहां पर बहुत सी जबाने बोली जाती हैं। उन्होंने कहा कि खुशी इस बात की है की नुसरत अतीक ने अपनी दोनों भाषाओं हिंदी उर्दू में किताबें लाकर समाज को एक अच्छा संदेश दिया है।

पूर्व चेयरमैन उर्दू अकादमी चौधरी कैफुल वरा ने कहा नुसरत की शायरी हिन्दुस्तान की शायरी है जो हमे सोचने और समझने पर मजबूर कर देती हैं। आईएएस डा. अखिलेश मिश्र ने कहा कि नुसरत में बदसूरती को भी खूबसूरत बनाने का जो हुनर है, वह इनकी रचनाओं में भी दिखाई देता है। समारोह के मुख्य वक्ता पूर्व अध्यक्ष हिन्दी विभाग प्रो.अनिल राय ने कहा कि नुसरत अतीक ने अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक कठिन विधा का चुनाव किया है। गज़ल छंदशास्त्र के अनुशासन में अपने विचारों- भावो की अभिव्यक्ति का अत्यंत प्रौढ़ रूप उन्होंने अर्जित किया है। यह उनके लगातार किए जा रहे लम्बे काव्य-अभ्यास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जीवन के सुख-दुःख, समाज प्रश्न और संकट तथा मानवीय नियति को जिस कलात्मकता के साथ 'जुगनू एक सितारा में नुसरत अतीक ने चिन्हित किया है। वह उनके समर्थ काव्य-शक्ति प्रमाण है।

अन्तर्राष्ट्रीय शायर एवं मंच संचालक डा. कलीम कैसर ने कहा कि नुसरत की शायरी जिंदगी और मोहब्बत की शायरी है और जब औरत समाज में परिवर्तन चाहती है तो उसको भाषा का सहारा लेना पड़ता है, नुसरत ने दोनों भाषाओं में प्रयोग करके दिखा दिया।
इस अवसर पर कुटुंब ग्लोबल की ओर से कवि राजेश श्रीवास्तव को दोहा सम्मान एवं साहित्य प्रेमी एवं वरिष्ठ शिक्षाविद महबूब सईद को अरबी चौपाल की ओर से फखरे जबान ए अदब सम्मान से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के अंत में संयोजक दीदार वस्तवी एवं आयोजन समिति के सदस्य डा. अमरनाथ जायसवाल, फर्रुख जमाल, अरशद अहमद ने आये हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

इस अवसर पर डा.विजाहत करीम, राकेश श्रीवास्तव, शिवेन्द्र पाण्डेय, कामिल खां, प्रेम पराया, अनुपम श्रीवास्तव, शबनम श्रीवास्तव, डा. विनोद श्रीवास्तव, अरशद जमाल सामानी, हर्षवर्धन राय, विजय श्रीवास्तव, प्रवीण श्रीवास्तव, नवीन श्रीवास्तव, नीरज अस्थाना, इफ्राहिम, डा. ताहिर, डा. अर्मानुल्लाह, मंजीत सिंह, अनुपमा द्विवेदी, कुमुद पाण्डेय, संजय सिंह, वेद प्रकाश यादव समेत कई लोग उपस्थित रहे।

इस दौरान अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें कवि राजेश श्रीवास्तव काशीपुर, डॉ. दीपक द्विवेदी "दीपक", डॉ. सुभाष यादव, डॉ. एके रॉय, डॉ. आरके राय, दीपक गोस्वामी, डॉ. कात्यानी सिंह सासाराम, पवन सबा, सत्यमबदा शर्मा, प्रतिभा गुप्ता, निशा राय, डॉ. चेतना पांडे, अनवर जिया, फारूक आदिल, अर्शी बस्तवी, सुम्बुल हाशमी, नसीम सलेमपुरी, शारिक खलीलाबादी, जनाब महमूद खलीलाबादी, जनाब अब्दुल हक इमाम, वसीम मजहर, अब्दुल्ला जामी, शाकिर अली शाकिर, आदि कवि कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

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